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कानूनी कार्रवाई: न्यूज़क्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ की रिहाई का स्वागत: किसानसभा

कानूनी कार्रवाई: न्यूज़क्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ की रिहाई का स्वागत: किसानसभा रिपोर्ट: ए. एन. प्रसाद। नई दिल्ली: अखिल भारतीय किसान सभ...

कानूनी कार्रवाई: न्यूज़क्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ की रिहाई का स्वागत: किसानसभा

रिपोर्ट: ए. एन. प्रसाद।
नई दिल्ली: अखिल भारतीय किसान सभा ने सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले का स्वागत किया है, जिसमें दिल्ली पुलिस द्वारा न्यूज़क्लिक के प्रधान संपादक प्रबीर पुरकायस्थ की गिरफ्तारी और रिमांड को अवैध बताते हुए उन्हें रिहा करने का आदेश दिया गया है। 7 महीने पहले अक्टूबर 2023 में गिरफ्तारी के बाद प्रबीर को रिमांड आदेश पारित करने से पहले रिमांड आवेदन की प्रति उपलब्ध नहीं कराई गई थी। शीर्ष अदालत ने प्रबीर को उसके वकील को सूचित किए बिना मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने में दिल्ली पुलिस की 'जल्दबाजी' पर आश्चर्य व्यक्त किया। किसान सभा और संयुक्त किसान मोर्चा ने उस वक़्त ही तुरंत गिरफ्तारी को "अवैध" बताया था। सर्वोच्च न्यायालय का फैसला हमारी स्थिति की पुष्टि करता है।
अखिल भारतीय किसानसभा के अध्यक्ष अशोक ढवले, महासचिव वीजू कृष्णन ने याद दिलाया है कि ऐतिहासिक किसान आंदोलन के दौरान जब भाजपा और प्रधान मंत्री झूठी अफवाहें फैलाने तथा विरोध को गलत ठहराने व आंदोलन को 'खालिस्तानियों' द्वारा वित्त पोषित बताने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे, तब न्यूज़क्लिक ने किसानों के पक्ष को जनता के सामने ले जाने में सराहनीय एवं साहसी भूमिका निभाई थी। जन-पक्षीय रिपोर्टिंग से नाराज मोदी सरकार और अमित शाह के गृह मंत्रालय ने प्रबीर पुरकायस्थ पर विरोध प्रदर्शन भड़काने एवं चीनी फंडिंग  के बदले चीनी प्रचार करने का आरोप लगाया। न्यूज़क्लिक के ख़िलाफ़ 2021 में शुरू हुआ हमला पिछले साल न्यूयॉर्क टाइम के शिकंजा कसने वाले लेख के साथ समाप्त हुआ, जिसे सरकार ने कठोर यूएपीए के तहत प्रबीर पर आरोप लगाने के लिए औचित्य के रूप में इस्तेमाल किया।
किसान सभा और संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रबीर की अन्यायपूर्ण गिरफ्तारी का तुरन्त विरोध करने और अधिनायकवादी कदम के खिलाफ जनता को संगठित करने के लिए देशव्यापी आंदोलन का नेतृत्व किया। स्वतंत्र मीडिया पर हमले के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए बड़े पैमाने पर रैलियाँ, सार्वजनिक बैठकें और पोस्टर अभियान चलाए गए। गिरफ्तारी की अन्यायपूर्ण प्रकृति की निंदा करने के लिए विभिन्न केंद्रों पर दिल्ली पुलिस की झूठी एफआईआर को जलाया गया।

सर्वोच्च न्यायालय का आज का आदेश निस्संदेह देश में लोकतंत्र के मज़बूत करने की दिशा में है और भाजपा-आरएसएस द्वारा समर्थित अधिनायकवाद को एक झटका है। पिछले दिनों सर्वोच्च न्यायालय ने एल्गार-परिषद मामले में नागरिक समाज कार्यकर्ता गौतम नवलखा और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को रिहा करने का आदेश भी दिया है। ऐसे उदाहरणों से भारतीय न्यायपालिका पर जनता का विश्वास बढ़ता है।


एआईकेएस ने कहा है कि हम प्रबीर के साथ खड़े हैं क्योंकि उन्होंने न्यूज़क्लिक के विरुद्ध दिल्ली पुलिस द्वारा दायर 7,400 आरोपपत्र के खिलाफ अपनी कानूनी लड़ाई जारी रखी है। हमारा दृढ़ विश्वास है कि वह स्वतंत्र मीडिया को दबाने की इच्छा रखने वाली ताकतों के खिलाफ जीत हासिल करके रहेंगे।

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