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विश्व पृथ्वी दिवस: ओजोन लेयर में क्षति होने के कारण जलवायु हो रही है परिवर्तित, इंसान पृथ्वी के प्रति अपने कर्तव्यों से दूर होता जा रहा है- सतानंद पाठक, शिक्षक

विश्व पृथ्वी दिवस: ओजोन लेयर में क्षति होने के कारण जलवायु हो रही है परिवर्तित, इंसान पृथ्वी के प्रति अपने कर्तव्यों से दूर होता जा रहा है- ...

विश्व पृथ्वी दिवस: ओजोन लेयर में क्षति होने के कारण जलवायु हो रही है परिवर्तित, इंसान पृथ्वी के प्रति अपने कर्तव्यों से दूर होता जा रहा है- सतानंद पाठक, शिक्षक

यही कारण है कि विश्व पृथ्वी दिवस का आयोजन करके लोगों का ध्यान इस ओर आकर्षित करने का प्रयास किया जाता है। इसे दुनियाभर के 195 देशों में मनाया जाता है- सतानंद पाठक, शिक्षक        

रिपोर्ट: ए. एन. प्रसाद।
पन्ना/मध्य प्रदेश: विश्व पृथ्वी दिवस के अनुसार ओजोन लेयर में क्षति होने के कारण जलवायु हो रही है परिवर्तित, इंसान पृथ्वी के प्रति अपने कर्तव्यों से दूर होता जा रहा है ऐसा शिक्षक सतानंद पाठक ने स्कूली बच्चों को बताते हुए कहा कि विश्व पृथ्वी दिवस का आयोजन करके लोगों का ध्यान इस ओर आकर्षित करने का प्रयास किया जाता है। इसे दुनियाभर के 195 देशों में मनाया जाता है। जानिए पूरी जानकारी-     

इस दिन का महत्व:


पृथ्वी दिवस को हर साल जलवायु परिवर्तन संकट के प्रति जागरूकता फैलाने के तौर पर मनाया जाता है। यह दिन प्रदूषण, वनों की कटाई जैसी समस्याओं को जोड़ने और उन पर चर्चा के लिए लोगों को साथ लाने का अवसर है। ओजोन लेयर में क्षति होने के कारण जलवायु परिवर्तित हो रही है। इंसान पृथ्वी के प्रति अपने कर्तव्यों से दूर होता जा रहा है। यही कारण है कि विश्व पृथ्वी दिवस का आयोजन करके लोगों का ध्यान इस और आकर्षित करने का प्रयास किया जाता है। इसे दुनियाभर के 195 देशों में मनाया जाता है। 


विश्व पृथ्वी दिवस का इतिहास:


पहली बार विश्व पृथ्वी दिवस मनाने का ख्याल अमरीका के सीनेटर गेलॉर्ड नेल्सन को आया था। 22 अप्रैल 1970 में पहली बार विश्व पृथ्वी दिवस को मनाया गया। आगे चलकर इस दिन को मनाने के लिए कई देश आगे आए। नेल्सन का उद्देश्य था कि इस दिन को पृथ्वी के गुणों का सम्मान करने और लोगों के बीच प्राकृतिक संतुलन को बढ़ावा देना था।


इसे मनाने का उद्देश्य:


पृथ्वी पर जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ रही है, यहां प्रदूषण, प्राकृतिक संसाधनों का दोहन तेजी से बढ़ रहा है। इस असंतुलन के कारण वो दिन अब दूर नहीं है जब पृथ्वी पर रहने का स्थान नहीं बचेगा। ऐसे में जरूरी है कि सही समय पर सभी लोग जाग जाएं और अपनी जिम्मेदारियों को समझना शुरू कर दें। इसी उद्देश्य के साथ बीते 53 वर्षों से पूरी दुनिया विश्व पृथ्वी दिवस मना रही है।

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