सामाजिक उन्मुखीकरण: जो सृजन को समझते हैं वे एक नई शुरुआत और नये कल की सम्भावना से उल्लासित होते हैं : भुवन रिभु रिपोर्ट: एस. भारती। समस्तीपु...
सामाजिक उन्मुखीकरण: जो सृजन को समझते हैं वे एक नई शुरुआत और नये कल की सम्भावना से उल्लासित होते हैं : भुवन रिभु
समस्तीपुर : जवाहर ज्योति बाल विकास केन्द्र जो कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन - यू एस के एक्सेस टू जस्टिस कार्यक्रम की सहयोगी संस्था के सचिव सुरेन्द्र कुमार और डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम कॉर्डिनेटर दीप्ति कुमारी ने 16-18 मई 2024 को विश्व युवक केन्द्र, नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय स्तर के उन्मुखीकरण सह परियोजना निर्माण कार्यशाला में भागीदारी किया। जहां देश भर के 22 राज्यों से आये 195 स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता सह सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता भुवन रिभु ने कहा कि बीते कल जो हुआ, उससे हम सबक सीखते हैं। लेकिन हमें अतीत में हीं नहीं रहना चाहिए। वे लोग जो बदलाव को समझ नहीं पाते, उन्हें लग सकता है कि मिट्टी में दबे एक बीज का अस्तित्व खत्म हो गया।

लेकिन जो सृजन को समझते हैं वे एक नई शुरुआत और नए कल की संभावना से उल्लसित होते हैं। बाल विवाह मुक्त भारत अभियान का हिस्सा जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन अलायंस और जवाहर ज्योति बाल विकास केन्द्र के सचिव सुरेन्द्र कुमार ने बताया कि बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के लिए 2024 -25 की चुनौतियों और उससे पार पाने का रोडमैप तैयार करने के दौरान बाल सुरक्षा के सभी आयामों पर चोट मारने की आवश्यकता होगी। बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के सहयोगी संगठनों की चार दिवसीय कार्यशाला 'एक्सेस टू जस्टिस' को संबोधित करते हुए बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के संस्थापक भुवन जी ने सहयोगी संगठनों को ताकीद करते हुए कहा कि वे पिछले साल मिली उपलब्धियों के बारे में ज्यादा सोचने की बजाय आगे की चुनौतियों की सुध लें और 2030 तक बाल विवाह मुक्त भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए कमर कसें।

जिसे जवाहर ज्योति बाल विकास केन्द्र के सचिव सुरेन्द्र कुमार ने चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए समस्तीपुर, लखीसराय और बेगुसराय जिला में बाल विवाह मुक्त अभियान, बाल दूर्व्यापार और बाल यौन शोषण जैसे संगठित अपराध को कम करनें का प्रयास करेगी। डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम कॉर्डिनेटर दीप्ति कुमारी ने बताया कि इन जिलों में बाढ़ सुखार और रोज़गार के अवसरों के कारण परिवार का परिवार बच्चों सहित पलायन कर जाता है। बाढ़ कटाव के कारण घर-बार छोड़कर जीविकोपार्जन के तलाश में शहर दर शहर भटकनें को मजबूर हो जाते हैं।
ऐसी स्थिति में बच्चों के साथ दूर्व्यापार बढ़ जाता है। इसलिए देशभर से आए 195 गैरसरकारी संस्थाओं ने संकल्प लिया कि हम अपनें अपने इलाके में अपनें सीमित संसाधनों के साथ बच्चों के सुरक्षा के लिए व्यापक घेराबंदी करेंगे और बाल विवाह, बाल दूर्व्यापार और बाल यौन शोषण के मामले में क़ानूनी सहायता देकर त्वरित न्याय के लिए सामुहिक कोशिश करेंगे।
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