फ्री बिजली की घोषणा बनी सिरदर्द! घंटों नहीं, 12-12 घंटे तक बिजली गायब — समस्तीपुर जिले के ग्रामीणों में आक्रोश रिपोर्ट: जेड. खान। समस्तीपुर:...
फ्री बिजली की घोषणा बनी सिरदर्द!
घंटों नहीं, 12-12 घंटे तक बिजली गायब — समस्तीपुर जिले के ग्रामीणों में आक्रोश
रिपोर्ट: जेड. खान।
समस्तीपुर: बिहार सरकार ने हाल ही में 125 यूनिट मुफ्त बिजली देने की घोषणा कर जनता को राहत देने की कोशिश की थी। यह घोषणा शुरू में ग्रामीणों और शहरी जनता के लिए बड़ी खुशखबरी थी, लेकिन जमीनी हालात कुछ और ही बयां कर रहे हैं।
समस्तीपुर जिले के शहर से लेकर गांवों तक बिजली कटौती का आलम यह है कि कई क्षेत्रों में 12-12 घंटे से अधिक समय तक लगातार बिजली गायब रह रही है। इससे न केवल जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है बल्कि सरकार के वादों पर भी सवाल खड़े हो गए हैं।
नल-जल योजना ठप, अंधेरे में कट रही हैं रातें
बिजली के अभाव में समस्तीपुर जिले के कई इलाकों में ‘हर घर नल-जल योजना’ पूरी तरह ठप पड़ गई है। पानी के लिए महिलाओं को दूर-दूर तक बाल्टी लेकर जाना पड़ रहा है।
ग्रामीण महिला लक्ष्मी देवी कहती हैं –
“सरकार कहती है कि बिजली मुफ्त मिलेगी, लेकिन जब बिजली रहती ही नहीं तो फ्री का क्या मतलब? पानी नहीं है, पंखा नहीं है, बच्चे कैसे पढ़ाई करेंगे?”
रात में गांवों में दिया और मोमबत्ती जलाकर लोग अपना समय गुजारने को मजबूर हैं। गर्मी में अंधेरा और पानी की किल्लत लोगों को त्रस्त कर रही है।
घोषणा में खुशी, ज़मीनी हकीकत में निराशा
मिडिया कर्मियों को खानपुर, कल्याणपुर, ताजपुर, उजियारपुर और सफियाबाद प्रखंडों के दौरे में पता चला कि ग्रामीणों में सरकार के प्रति गहरा असंतोष है।
ग्रामीणों ने बताया कि “नीतीश सरकार सिर्फ घोषणा करती है, जमीनी हकीकत कुछ और होती है। चुनाव से पहले कई वादे होते हैं, लेकिन जैसे ही चुनाव बीतता है, सब भुला दिया जाता है।”
वोट बैंक की राजनीति बनाम जनहित?
चुनाव से पहले नीतीश सरकार ने वृद्धा पेंशन ₹400 से बढ़ाकर ₹1100 कर दी और अब 125 यूनिट मुफ्त बिजली योजना शुरू की। इन सबको देखकर लोग कह रहे हैं कि सरकार जनता की भलाई नहीं, बल्कि वोट बैंक को साधने के लिए काम कर रही है।
वहीं ग्रामीण किसानों का कहना है कि “हमें कोई भी ऐसी सुविधा नहीं चाहिए जो सिर्फ कागज पर मिले। हम चाहते हैं जो कहा जाए, वो जमीन पर दिखे। ये सब चुनावी चाल है।”
बिजली विभाग की लापरवाही, फोन तक नहीं उठाता कोई
समस्तीपुर जिला पावर हाउस पर भी सवाल उठ रहे हैं। शिकायत करने पर कोई सुनवाई नहीं हो रही है। ग्रामीणों ने बताया कि बिजली कटने के बाद जब विभाग को फोन किया जाता है, तो फोन उठाना तक ज़रूरी नहीं समझते।
ग्रामीण शिक्षक राजेश सर ने बताया –
“हमने 4 बार फोन किया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। जब ऑफिस जाकर शिकायत करने की कोशिश की तो कोई मौजूद नहीं था।”
छात्र और व्यापारी सबसे ज्यादा परेशान
बिजली न रहने से गांव के छात्र रात में पढ़ाई नहीं कर पा रहे। 10वीं और 12वीं के छात्र दिये की रोशनी में परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। इससे उनका मनोबल टूट रहा है। वहीं, दुकानदारों और छोटे उद्योगों का भी बुरा हाल है। ग्राइंडर, प्रिंटर, मोटर, मिक्सी, सब कुछ ठप पड़ा है।
जनता बोले – अबकी बार सोच-समझकर करेंगे फैसला
ग्रामीण जनता का कहना है कि अब वह सरकार के वादों पर नहीं, उसके काम पर विश्वास करेगी। इस बार चुनाव में अपना वोट सोच-समझकर देगी।
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