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आस्था/विश्वास: राजयोगिनी डॉ० दादी रतन मोहिनी का शताब्दी महोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया

आस्था/विश्वास: राजयोगिनी डॉ० दादी रतन मोहिनी का शताब्दी महोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया रिपोर्ट: ए. एन. प्रसाद। समस्तीपुर: प्रजापिता ब्र...

आस्था/विश्वास: राजयोगिनी डॉ० दादी रतन मोहिनी का शताब्दी महोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया

रिपोर्ट: ए. एन. प्रसाद।

समस्तीपुर: प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी डॉ० दादी रतन मोहिनी का शताब्दी महोत्सव बिहार ब्रह्माकुमारीज़ संचालिका राजयोगिनी रानी दीदी की अध्यक्षता में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।


इस अवसर पर बिहार के अनेक स्थानों से जैसे भागलपुर से अनीता बहन, बेगूसराय से कंचन बहन, किशनगंज से सुमन बहन, कटिहार से सुनीता बहन, पूर्णिया से मुकुट बहन, अररिया से उर्मिला बहन, सहरसा से स्नेहा बहन, सुपौल से शालिनी बहन, दरभंगा से आरती बहन, मधुबनी से संगीता बहन, जयनगर से रीना बहन, सीतामढ़ी से वंदना बहन, नरकटियागंज से अविता बहन, बेतिया से अंजना बहन, मोतिहारी से पूनम बहन, अरेराज से मीना बहन, मोतीपुर से मनोरमा बहन, शिवहर से मंजू बहन, मुंगेर से जयमाला बहन, तेघरा से आशा बहन, जमुई से कीर्ति बहन, साथ-साथ टाटानगर से अंजू बहन, रागिनी बहन एवं मुंबई से मीना बहन सहित जिले की अनेक बहनों का सम्मान किया गया। ये सभी बहनें सेवाकेंद्रों की प्रभारी हैं।


सम्मान में बिंदी, चुनरी, माला, पगड़ी, बैज, बुके व दादी जी का चित्र प्रदान कर उनका स्वागत एवं सम्मान किया गया।


स्वागत भाषण समस्तीपुर की सविता बहन ने किया। ओम प्रकाश भाई ने स्वागत गीत सुनाया। स्वागत नृत्य सुभिक्षा कुमारी ने किया। कार्यक्रम का संचालन कृष्ण भाई ने किया।


रानी दीदी ने अपने आशीर्वचन में कहा कि दादी रतन मोहिनी जी 100 साल की उम्र में भी इस आध्यात्मिक संस्थान को बहुत ही सुचारू रूप से नेतृत्व प्रदान कर रही हैं। उनके दीर्घायु होने की इस समागम में हम सभी बहन-भाई शुभकामना कर रहे हैं। 


उन्होंने कहा कि डॉ० दादी रतन मोहिनी जी का संपूर्ण जीवन त्याग, तपस्या और अविस्मरणीय सेवा का अनोखा एवं अनूठा उदाहरण है। दादी रतन मोहिनी जी ने अपनी अल्पायु में ही अपने जीवन को परमात्मा की सत्य पहचान के बाद उनके कार्यों के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने सृष्टि के आदि पिता प्रजापिता ब्रह्मा बाबा और आदिशक्ति मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती की साकार पालना प्राप्त की और परमात्मा की आज्ञा अनुसार 14 वर्षों तक सांसारिक जीवन से बिल्कुल अलग रहकर गहन साधना और तपस्या की। इस ईश्वरीय विश्व विद्यालय का वैश्विक स्तर पर इतना बड़ा विस्तार इन आत्माओं की तपस्या रुपी बीज का ही साक्षात् वट वृक्ष स्वरूप है। दादी जी ने अपने 100 वर्षों के कार्यकाल में इस संस्थान में अनेक महत्वपूर्ण जिम्मेवारियोंका सफलता पूर्वक एवं कुशलता पूर्वक निर्वहन किया। उनके नेतृत्व में हजारों समर्पित बहनें एवं लाखों भाई-बहन प्रेरणा पाकर अपने जीवन को ईश्वरीय कार्य में निरंतर आगे बढ़ा रहे हैं। दादी जी बुजुर्ग होते भी युवा जैसी ऊर्जा से सराबोर रहीं। और इसलिए आपने संस्थान के युवा प्रभाग की अध्यक्षा का पदभार सफलतापूर्वक निर्वाह किया। आपने ईश्वरीय सेवार्थ 50 से अधिक देशों का दौरा किया। आप अनेक विशेषताओं और गुणों की खान थीं। आये हुए सभी भाई-बहनों को ब्रह्माभोजन स्वीकार कराया गया एवं दादी जी के चरित्रों से अवगत कराया गया।


कार्यक्रम में मुख्य रूप से राम गोपाल सुरेका, सतीश चांदना, कृष्ण कुमार अग्रवाल, निर्दोष जी, ओम प्रकाश अग्रवाल, राजकुमार अग्रवाल सहित जिले भर से सैकड़ों भाई-बहन उपस्थित थे।

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