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लोकसभा चुनाव 2024: इस ऐतिहासिक चुनाव का लक्ष्य है राष्ट्र हित, राष्ट्र निर्माण, राष्ट्र गौरव, स्वर्णिम राष्ट्र, हमारा भारत: रवि के. पटवा

लोकसभा चुनाव 2024: इस ऐतिहासिक चुनाव का लक्ष्य  है  राष्ट्र हित, राष्ट्र निर्माण, राष्ट्र गौरव, स्वर्णिम राष्ट्र, हमारा  भारत:  रवि के. पटवा...

लोकसभा चुनाव 2024: इस ऐतिहासिक चुनाव का लक्ष्य  है  राष्ट्र हित, राष्ट्र निर्माण, राष्ट्र गौरव, स्वर्णिम राष्ट्र, हमारा  भारत:  रवि के. पटवा

रिपोर्ट डेस्क।
मशहूर फिल्मकार -सह- समाजसेवी -सह- इतिहासकार -सह- पर्यावरणविद् -सह- अध्यक्ष अंबेडकर संस्थान -सह- अध्यक्ष हिंदू बुनकर समाज रवि के. पटवा ने अपने मंच से आह्वान किया है कि लोकसभा चुनाव 2024 का मतदान चल रहा है। यह एक ऐतिहासिक चुनाव है जिसका लक्ष्य है राष्ट्र हित, राष्ट्र निर्माण, राष्ट्र गौरव, स्वर्णिम राष्ट्र, हमारा भारत। हम भारतवासी उक्त लक्ष्य को अपने मत द्वारा ही प्राप्त कर सकते हैं। हम भारत के मतदाता जागरूकता  के साथ  वोट करें। बचपन से हमने देखा है कि हम भारतवासी झूठे वादों पर मतदान करते रहें हैं। कांग्रेस एक ऐसी पार्टी है जिसके संस्थापक अंग्रेज थे। ये हमेशा जनता से छल कर जीतते रहे। नेहरू जी ने सुरक्षा परिषद की सदस्यता नकार कर हमारे घोर शत्रु चीन को दिला दी। 
लोकसभा में गौ हत्या निषेध का बिल प्रस्तुत हुआ। क्या हिन्दू क्या मुसलमान, सभी सांसद इस निषेधाज्ञा बिल का समर्थन कर इसे पास करने को उद्यत थे। परन्तु इस बिल के प्रस्ताव को खारिज करते हुए नेहरू जी ने कहा बीफ खाना   मुसलमानों का मौलिक अधिकार है। देश की सुरक्षा को ध्यान  में न रख आयुधों के कारखाने बंद करवा दिए गए। अपने वामपंथी विचारधारा के मंत्री मेनन के कहने पर भारत की विश्व  विजयी सेना की संख्या लाखों में घटा दी और हम चाइना से हार गए। वायु सेना को चाइना पर आक्रमण नहीं करने दिया जबकि हमारी वायुसेना चीन से बहुत ज्यादा उन्नत थी। भारत  की शर्मनाक हार की जिम्मेदारी इस महान प्रधानमंत्री नेहरूजी  की वामपंथ नीतियां थी। कश्मीर में हमारी सेना पूर्ण विजय की ओर अग्रसर थी। उसे इसी प्रधानमंत्री नेहरूजी ने रोक दिया और जिसका दंश हम आज तक झेल रहे हैं। शेख अब्दुल्ला को कश्मीर सौंप दिया और कश्मीर में दलितों के मौलिक अधिकार खत्म कर एक देश दो विधान को स्वीकार किया।  
हम  भारतवासी अपने देश के ही हिस्से कश्मीर जाने के लिए  परमिट / पासपोर्ट लेने को मजबूर थे। वीर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इसका घोर विरोध किया और बिना परमिट कश्मीर गए। वहां शेख अब्दुल्ला ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और गिरफ्तारी में ही उनकी संदेहास्पद मौत हो गयी। 
विद्वान महान अंबेडकर के संविधान में समता का नागरिक और मौलिक अधिकार को कश्मीर से हटा कर हिन्दू दलितों को गुलाम से बदतर बना दिया। कश्मीर में कोई भी दलित हिन्दू कितना भी पढ़ ले। प्रशासनिक परीक्षा में ही क्यों न पास हो जाए तो भी उसे मल ही उठाना पड़ेगा, सफाई कर्मी ही बनना पड़ेगा। यह शेखअब्दुल्ला साहब का कश्मीरी विधान था वो चलता रहा 370 धारा के रूप में। जब मोदीजी प्रधानमंत्री बने तब इस अमानवीय कृत्य वाले काले कानून का खात्मा हुआ। आज वामपंथी विचारधारा 'जय भीम जय मीम' का नारा बुलंद करती है। यह छल की पराकाष्ठा है इस भ्रमजाल का शिकार न बने और सोच समझकर वोट करें। जय हिन्द, जय भारत।

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