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लोकसभा चुनाव 2024: मतदान लोकतंत्र की अमूल्य धारा है: निरंजन कुमार

लोकसभा चुनाव 2024: मतदान लोकतंत्र की अमूल्य धारा है: निरंजन कुमार रिपोर्ट: ए. एन. प्रसाद। पटना : राज्य के नागरिकों को देश के संविधान द्वारा ...

लोकसभा चुनाव 2024: मतदान लोकतंत्र की अमूल्य धारा है: निरंजन कुमार

रिपोर्ट: ए. एन. प्रसाद।

पटना : राज्य के नागरिकों को देश के संविधान द्वारा प्रदत्त सरकार चलाने के हेतु, अपने प्रतिनिधि निर्वाचित करने के अधिकार को मताधिकार कहते हैं। 

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत वोट देने के अधिकार की गारंटी भारत के संविधान द्वारा दी गई है। मतदान का अधिकार' एक संवैधानिक अधिकार है।1950 में 'सार्वभौमिक मताधिकार' की अवधारणा के तहत भारत के नागरिकों को पूर्ण मतदान अधिकार की गारंटी दी गई।1988 के 61वें संवैधानिक संशोधन में मतदान की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष कर दीया गया। वर्ष 1994 किन्नर समुदाय के लोगों मत करने का अधिकार मिला था। मताधिकार से अभिप्राय वोट देने का अधिकार है। भारत में निर्वाचन संबंधित संवैधानिक एवं विधिक प्रावधान भारतीय संविधान के भाग 15 अनुच्छेद 324 से 329 तक में, भारतीय दंड संहिता, 1860 के अध्याय 9क की धारा 171ए से 171आई तक में तथा निर्वाचन रजिस्ट्री करने नियम-1960 आदि में विस्तृत है। अनुच्छेद 324 में मतदाता सूचियाँ, राजनैतिक दलों की मान्यता, चुनाव की व्यवस्था आदि का उल्लेख किया गया है।यह न केवल एक अधिकार है, बल्कि एक कर्तव्य भी है जो समाज के स्वायत्तता और संविधानिक व्यवस्था के लिए आवश्यक है।


मतदान करने से नागरिक सक्रिय भागीदार बनते हैं। यह उन्हें नेताओं की प्रशासनिक क्षमता, नीतियों, और कामकाज को मूल्यांकन करने का अवसर प्रदान करता है और सामाजिक समर्थन का एक प्रमुख तत्व भी है। यह दिखाता है कि व्यक्ति समाज के विकास और प्रगति में अपना योगदान देने के लिए संवेदनशील है। मतदान करना नागरिकों की जिम्मेदारी है और यह एक स्वतंत्र, उदार, सामर्थ्यवान समाज  और लोकतंत्र की शक्ति को मजबूत करता है। नवीन संविधान लागू होने के पूर्व भारत में 1935 के "गवर्नमेंट ऑव इंडिया ऐक्ट" के अनुसार केवल 13 प्रति शत जनता को मताधिकार प्राप्त था।


भारतीय संविधान ने धर्मनिरपेक्षता का सिद्धांत मानते हुए और व्यक्ति की महत्ता को स्वीकारते हुए, अमीर गरीब के अंतर को, धर्म, जाति एवं संप्रदाय के अंतर को, तथा स्त्री पुरुष के अंतर को मिटाकर प्रत्येक वयस्क नागरिक को देश की सरकार बनाने के लिए अथवा अपना प्रतिनिधि निर्वाचित करने के लिए "मत" (वोट) देने का अमूल्य अधिकार प्रदान किया है।


लेखक - निरंजन कुमार (अधिवक्ता, पटना उच्च न्यायालय)

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