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टल गया बड़ा हादसा, भरभरा कर गिरा स्कूल का छत, छुट्टी के कारण बची 90 बच्चों की जान

टल गया बड़ा हादसा, भरभरा कर गिरा स्कूल का छत, छुट्टी के कारण बची 90 बच्चों की जान फोटो श्रोत: पी न्यूज। सौजन्य: विभिन्न मिडिया श्रोत। राजस्थ...

टल गया बड़ा हादसा, भरभरा कर गिरा स्कूल का छत, छुट्टी के कारण बची 90 बच्चों की जान

फोटो श्रोत: पी न्यूज।
सौजन्य: विभिन्न मिडिया श्रोत।

राजस्थान: झालावाड़ में हुए स्कूल हादसे को अभी तीन दिन ही बीते हैं और रोज किसी न किसी न किसी स्कूल की छत, दीवार, प्लास्टर या बरामदा गिरने की खबर आ रही हैं।

फिलहाल जिला मुख्यालय से सटे वल्लभनगर क्षेत्र की धमानिया ग्राम पंचायत के रूपावली गांव के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय की छत अचानक भरभरा कर गिर गई। गनीमत रही कि रविवार को अवकाश होने के कारण स्कूल बंद था, वरना कक्षा 1 से 8 तक पढ़ने वाले करीब 90 बच्चों की जान पर बन आती। प्रधानाध्यापक फतह सिंह झाला ने बताया कि भवन की जर्जर स्थिति के बारे में शिक्षा विभाग को पहले ही अवगत कराया जा चुका था। मरम्मत के लिए बजट भी स्वीकृत हो गया है, मगर अभी तक काम शुरू नहीं हुआ।

वहीं ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने कई बार जनप्रतिनिधियों और विभागीय अधिकारियों को ज्ञापन दिए, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। झालावाड़ हादसे के बाद ग्रामीणों ने प्रदर्शन कर चेताया भी था, फिर भी प्रशासन की नींद नहीं टूटी और आखिरकार रविवार को हादसा हो गया।

आपको बता दें कि सल्लोपाट थाना क्षेत्र के आनंदपुरी बांसवाड़ा राजकीय प्राथमिक विद्यालय कलाजी मंदिर, मोनाडूंगर में रविवार रात को स्कूल भवन का आगे का बरामदा भरभराकर गिर गया। गनीमत रही कि अवकाश था अन्यथा हादसा गंभीर हो सकता था। स्कूल भवन का हिस्सा गिरने की सूचना पर पुलिस और अभिभावक मौके पर पहुंचे। जिले में कई सरकारी स्कूलों की इमारतें वर्षों पुरानी हो चुकी हैं और लगातार उपेक्षा के कारण अब जानलेवा बनती जा रही हैं।

वहीं दूसरी तरफ झालावाड़ जिले के पिड़ावा क्षेत्र के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय दांता के एक पुराने स्टोर रूम की छत की पट्टियां तेज बारिश के कारण टूट गईं। रविवार का अवकाश होने के कारण वहां कोई मौजूद नहीं था, जिससे बड़ा हादसा टल गया। जानकारी के अनुसार यह कमरा 13 वर्ष पहले ही जर्जर घोषित कर दिया गया था, तब से इसका उपयोग स्टोर रूम के रूप में किया जा रहा था, जिसमें स्कूल का कबाड़ रखा हुआ था। लम्बे समय से इस कमरे का ताला भी नहीं खोला गया।

वहीं ग्रामीणों और स्थानीय जनता का कहना है कि सरकार और अधिकारी पुराने जर्जर स्कूलों का जल्द से जल्द सूचीबद्ध कर मरम्मती करवायें अन्यथा बड़े हादसे दूर नहीं हैं।

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