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अपनी मांगों के समर्थन में बेमियादि हड़ताल पर जाएंगे राइस मिल के संचालक

अपनी मांगों के समर्थन में बेमियादि हड़ताल पर जाएंगे राइस मिल के संचालक रिपोर्टः रंजीत डे। पटनाः बिहार स्टेट राइस मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष राज...

अपनी मांगों के समर्थन में बेमियादि हड़ताल पर जाएंगे राइस मिल के संचालक

रिपोर्टः रंजीत डे।

पटनाः बिहार स्टेट राइस मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव रंजन कुमार उर्फ राजू गुप्ता ने कहा कि अगर सरकार बिहार के उसने मिल के मालिकों की समस्या का समाधान नहीं करती है तो विवश होकर बिहार के तमाम राइस मिल के संचालक अपना मिल बंद करके हड़ताल पर जाएंगे। उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं को देखते हुए आपने राज्य में महत्वकांक्षी योजना उसना राइस मिलिंग कराकर उपभोक्ताओं को खिलाने का निर्णय लिया है। जिसकी हम सभी स्वागत करते है। और आपकी महत्वकांक्षी योजना के लिए हम सभी मिलर पूरे बिहार उसना मिल आपकी धान खरीदारी का शत प्रतिशत मिलिंग करने के लिए पूंजी निवेश कर मिल भी लगा लिए हैं। उसना राइस वितरण से बिहार के उपभोक्ता भी खुश है। बिहार के उसना मिलर तीन साल तक किसी तरह मिलिंग कर सरकार का साथ दे रहे हैं। पूर्व फूड सेक्रेटरी  ने मिलर से मीटिंग कर कहा था कि आपलोंग मिलिंग करिए हमलोग इसको देखते हैं।  मुख्यमंत्री भी कई मीटिंग में उसना मिल लगाने एवं उसमें आ रहे कठिनाइयों को दूर करने के लिए निर्देश दिया था। परंतु अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं लेने से मिलर को मिलिंग करने में मुश्किल हो रहा है मिलर की स्थिति काफी दयनीय होती जा रही है। उन्होंने  कि उसना मिल लगाने में अरवा मिल से दस गुणा अत्यधिक पूंजी निवेश होता है। उसना चावल तैयार करने पर पर बिजली बिल अरवा चावल के अपेक्षा चार गुणा अत्यधिक लगता है। उसना चावल तैयार में बायों प्रोडक्ट भूसी भी बॉयलर में धान उसीनने एवं सुखाने के लिए  जाता है। जबकि सरकार द्वारा मात्र 20 रु क्विंटल ही मिलिंग चार्ज दिया जाता हैं। वो भी मिलिंग चार्ज व्यवहारिक रूप से पैक्स द्वारा मिलर को नहीं दिया जाता है। जबकि मिलिंग करने में 200 रु क्विंटल बिजली बिल एवं मशीनरी पार्ट पर खर्च आता है। मिल लगाने में पूंजी जो लगा है उसका भी डिफिशिएशन लगता है, लेबर, स्टाफ एवं अन्य खर्च भी मिलर को उठाना पड़ता है। उन्होंने बताया  कि बिहार के बाहर छत्तीसगढ़, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश एवं अन्य प्रदेशों में अरवा मित पर राज्य सरकार प्रोत्साहन राशि 120 रु क्विंटल तक देकर मिलिंग करा रही हैं। अब बिहार में भी उसना मिलिंग पर राइस उद्योग बचाने के सरकार से प्रोत्साहन राशि 150 रु प्रति  क्विंटल मिलर को लेने की आवश्यकता है। इसके लिए बिहार के सभी मितर चिंतित है और मीटिंग कर सरकार को अपनी पीड़ा बताने का निर्णय लिया है।  उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि राइस उद्योग बचाने के लिए मिलिंग चार्ज पर 150 रु प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि एवं मिलिंग चार्ज सीधे मिलर के खाते में दिया जय। इस मौके पर आनंद सिंह, वीरेंद्र गुप्ता, रामचंद्र प्रसाद, मुन्ना सिंह, रणजीत सिंह, सहित राज्य भर के राइस मिल के संचालक मौजूद होकर हड़ताल पर जाने पर सहमति जताई।

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