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मोहम्मद सिराज… वो नाम जो अब सिर्फ एक तेज़ गेंदबाज़ नहीं, बल्कि जज़्बे, जुनून और भारत की बुलंद हिम्मत का दूसरा नाम

मोहम्मद सिराज… वो नाम जो अब सिर्फ एक तेज़ गेंदबाज़ नहीं, बल्कि जज़्बे, जुनून और भारत की बुलंद हिम्मत का दूसरा नाम आलेख: ठाकुर वरुण कुमार। कभ...

मोहम्मद सिराज… वो नाम जो अब सिर्फ एक तेज़ गेंदबाज़ नहीं, बल्कि जज़्बे, जुनून और भारत की बुलंद हिम्मत का दूसरा नाम

आलेख: ठाकुर वरुण कुमार।

कभी हैदराबाद की गलियों में रबड़ की गेंद से गेंदबाजी करने वाला एक लड़का, आज दुनिया के सबसे पुराने क्रिकेट मैदान ओवल पर भारत की उम्मीदों का इकलौता भरोसा बन गया था। मोहम्मद सिराज… वो नाम जो अब सिर्फ एक तेज़ गेंदबाज़ नहीं, बल्कि जज़्बे, जुनून और भारत की बुलंद हिम्मत का दूसरा नाम बन चुका है।

जब इंग्लैंड और भारत के बीच एंडरसन-सचिन ट्रॉफी की आख़िरी लड़ाई शुरू हुई, तब शायद किसी ने नहीं सोचा था कि यह सीरीज़ एक ऐसे मोड़ पर आएगी जहाँ एक इंसान का आत्मविश्वास पूरी टीम के भाग्य को बदल देगा।

पांचवां टेस्ट, ओवल का मैदान। इंग्लैंड को मैच के आखरी दिन जीत के लिए सिर्फ़ 37 रन चाहिए थे। सामने जेमी स्मिथ और जमी ओवरटन जैसे बल्लेबाज़ थे और लग रहा था कि इंग्लैंड इस सीरीज को 3-1 से अपने नाम कर लेगा। मगर हमारे मियां ने अभी हार नहीं मानी थी। चौथे दिन उन्होंने 19 रन पर बैटिंग कर रहे हैरी ब्रूक का कैच छोड़ा था। ब्रूक को बाद में आकाशदीप ने आउट जरूर किया लेकिन तब तक मैच इंग्लैंड के कब्ज़े में आ चूका था। 

मोहम्मद सिराज ने कैच जरूर छोड़ा था लेकिन उन्होंने भारत को मैच जीतने की उम्मीद नहीं छोड़ी थी। पांचवे दिन जब मोहम्मद सिराज ने गेंद हाथ में ली तब उन्होंने इंग्लैंड को दिखाया कि 'मियां मैजिक' क्या चीज़ होती है?

पहली ही गेंद से जो दबाव उन्होंने बनाया, वो इंग्लिश बल्लेबाज़ों की साँसों में उतर गया। ना कोई हड़कंप मचा, ना शोर-शराबा, बस एक खामोश आत्मविश्वास — जो कह रहा था "जब तक मैं मैदान पर हूँ, मैच हमारा है!"

हर ओवर के साथ सिराज का आत्मविश्वास बढ़ता गया और इंग्लैंड की उम्मीदें टूटती चली गईं। उन्होंने न सिर्फ़ विक्ट्री की रफ्तार रोकी, बल्कि विकेट पर विकेट चटकाकर वो करिश्मा कर दिखाया जो सिर्फ़ बड़े दिलवाले खिलाड़ी ही कर सकते हैं। आख़िरकार भारत ने ये ऐतिहासिक टेस्ट मैच 6 रन से जीत लिया और पूरी सीरीज़ 2-2 से बराबरी पर खत्म की।

मियां मैजिक वो है जब एक गेंदबाज़ न सिर्फ अपनी रफ़्तार से, बल्कि दिल से खेलता है। मियां मैजिक वो मैजिक है जब आपके पसीने की हर बूँद भारत के झंडे में रंग भरती है। मियां मैजिक वो जादू है जब एक तेज़ गेंदबाज़ सिर्फ़ रन रोकता नहीं, सपने भी बचा लेता है।

सिराज की गेंदबाज़ी में न कोई ड्रामा होता है, न दिखावा — बस मेहनत, जुनून और एक देशभक्ति की आग। वो जब विकेट की ओर दौड़ते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे पूरा हिंदुस्तान उनके पीछे दौड़ रहा हो।

इस सीरीज़ में सिराज इकलौते ऐसे तेज़ गेंदबाज़ रहे जिन्होंने पाँचों टेस्ट मैच खेले और कहीं भी उनके शरीर या हौसले में थकान नज़र नहीं आई। जब अन्य तेज़ गेंदबाज़ फिटनेस या फॉर्म से जूझ रहे थे, सिराज मैदान पर बिना रुके, बिना झुके खेलते रहे।

उनकी आँखों में जुनून था, उनकी गेंदों में आग थी और उनके हर विकेट में देश की धड़कनें बसती थीं। सिराज का ये सफर उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है जो सीमित साधनों में भी असीम सपने देखते हैं।

मोहम्मद सिराज सिर्फ़ एक नाम नहीं रहा, वो अब एक एहसास बन चुका है — कि अगर जज़्बा सच्चा हो, तो मैदान किसी भी मुल्क में हो, तिरंगा ही लहराता है।

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